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अब मैं पहले से ही सरकार के orders या rules पढ़ के जाती हूँ ताकि सही ढंग से अधिकारों की बात कर सकूँ।
Story Submitted by: Anita Verma

संविधान की ट्रेनिंग के बाद ना सिर्फ जानकारी बल्कि हमे इस जानकारी से धीरज भी मिला है।हमने अपनी फील्ड में SHG महिलाओं के साथ अधिकारों की जागरूकता से जुडी मीटिंग्स शुरू करी है और कोशिश है की ये जानकारी सब तक पहुंचे। इस कार्य क्षेत्र से तो मैं बहुत सालो से जुडी हूँ लेकिन जो एक संवैधानिक समझ बनी है उससे कार्य करने में और मज़ा आ रहा है।जैसे की अब मैं पहले से ही सरकार के orders या rules पढ़ के जाती हूँ ताकि सही ढंग से अधिकारों की बात कर सकूँ।
उदहारण के तौर पे अभी मेरे फील्ड की एक लड़की एक कुछ दस्तावेज़ बनवाने थे, वो अपने ससुराल से वापस आ गई है और अधिकारी उसके दस्तावेज़ नहीं बना रहे थे, यही कह के की अब इसकी शादी हो गई है। मैंने यही दलील पेश की ऐसा कहा लिखा है नियमों में की लड़की के दस्तावेज़ मायके में नहीं बन सकते। वो सब बस समाज का हवाला दे रहे थे पर मैं नियमों पे डटी रही। कई बार चर्चा करनी पड़ी लेकिन नियमानुसर उसके दस्तावेज़ बना दिए गए। अब मुझे ये भी समझ आया है की अधिकारों के लिए लड़ने के लिए उनकी जागरूकता बहुत ज़रूरी है और मैं बस इसी काम में लगी हुई हूँ।