Story Submitted by: Durga Kharadi
लोगों के साथ जुड़ कर काफी साल से काम कर रही हूँ, लेकिन मन में एक सवाल रहता था कि संविधान के बारे में सीख के क्या होगा? लेकिन धीरे धीरे कई प्रशिक्षण लिए, वी द पीपल अभियान के साथ भी हाल ही में प्रशिक्षण लिया, इससे मेरे स्वयं में बहुत बदलाव आया है।मुझे खुद ये महसूस हुआ की ये जानकारी तो सब तक पहुंचना बहुत ज़रूरी है। लोग अपनी लड़ाई तो लड़ रहे है, लेकिन सक्रिय तौर से अपनी लड़ाई लड़ने के लिए संविधान ही सबसे ऊपर है। जबसे समुदाय के साथ जुडी हूँ, चाहे वो महिला हो, बच्चे हो, आदिवासी हो, मैं सवाल करती रहती हूँ, संवैधानिक समझ से समस्या को ढूंढ़ती हूँ ताकि उस ढाँचे को इस्तेमाल करते हुए समस्या का हल निकाल सकू।हमें जिस तरीके से प्रशिक्षण के दौरान संविधान के मूल्यों को सरलता से समझाया गया था, उसी सरलता के साथ मैं समुदाय में संवैधानिक मूल्यों की चर्चा करती हूँ। जो मटेरियल हमे मिले थे उन्हें मैं समुदाय की भाषा में ही समझती हूँ ताकि वो इससे अपना जुड़ाव महसूस कर पाए। बीते संविधान दिवस पे ही हमने कई सारे लोगो के साथ मिलकर संवैधानिक मूल्यों पे चर्चा करी और आगे भी हम ये चर्चा ज़ारी रखेंगे। मुझे हमेशा से लगता था की हम बास समाज में रह रहे है, उसके लिए कुछ कर नहीं रहे है लेकिन मैंने भी अपना नजरिया बदला और संविधान की जानकारी के साथ समाज में बदलाव लाने का निरंतर प्रयास कर रही हूँ।
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