मोहल्ला मेलोडीज़: कविता की संगीत भरी शिक्षा क्रांति
- We, The People Abhiyan

- Dec 5
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बच्चों की हँसी, उनकी सीखने और सुनने की आवाज़ें अब कविता की छत पर रोज़ की धुन बन गई थीं। उनकी मोहल्ला क्लासेस - मोहल्ले में खुला शिक्षण स्थल जिन्होंने साधारण दोपहरों को जीवंत सत्रों में बदल दिया था, जहाँ सीखना एक नई लय में ढल गया था। बच्चों के लिए यह कुछ नया और रोमांचक था; और कविता के लिए यह वह था जिसकी तलाश उन्हें हमेशा से थी, सीखने को फिर से ज़िंदा करने का एक तरीका।
सब कुछ तब शुरू हुआ जब एक अध्यापिका के रूप में नियुक्त होने के बाद कविता ने अपनी कक्षा में खाली बेंचों पर ध्यान देना शुरू किया। जब उन्होंने समझने की कोशिश की कि बच्चे स्कूल से दूर क्यों रह रहे हैं, तो कारण साफ़ दिखाई देने लगे - शिक्षकों की लगातार सज़ाएँ, विद्यार्थियों के प्रति उदासीन रवैया, जातिगत भेदभाव, आर्थिक परेशानियाँ, और रटने पर आधारित वह दोहराव भरा तरीका जिसमें न रचनात्मकता थी, न जुड़ाव। इन सबने बच्चों को सीखने से और दूर कर दिया था। इस दूरी को मिटाने के संकल्प के साथ कविता ने प्रयोग करना शुरू किया। उन्होंने अपने घर से ही मोहल्ला क्लासेस शुरू कीं: एक खुला, आनंदमय शिक्षण स्थल, जहाँ शिक्षा को संगीत की भाषा मिल गई। उन्होंने वही सरकारी पाठ्यक्रम रखा, लेकिन तरीका बदला, सामग्री नहीं। विज्ञान के पाठ सौरमंडल पर गीत बन गए, और नागरिक शास्त्र अधिकारों और कर्तव्यों पर कविताओं में ढल गया। धीरे-धीरे संगीत सीखने की भाषा बन गया, और सीखना लय, तुक और सहभागिता के माध्यम से खिलने लगा।
कविता को हैरानी हुई कि यह तरीका काम कर गया।जो बच्चे कभी एक जगह बैठकर पढ़ना नहीं चाहते थे, अब वे खुद उत्साह से आने लगे। वे रटकर नहीं, बल्कि लय के साथ सीख रहे थे। यह बदलाव साफ़ दिखाई दे रहा था और गहराई से छू लेने वाला था। इस परिवर्तन ने कविता को और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी और अधिक प्रयोग करने, अपने काम को फैलाने की। मोहल्ला क्लासेस अब किसी बड़ी चीज़ का बीज बन चुकी थीं - एक सामूहिक कल्पना, जो कविता और उनके दोस्तों के साझा संकल्प से जन्मी थी। उनका उद्देश्य था ऐसा स्थान बनाना जहाँ शिक्षा में चिंतन और नवाचार दोनों के लिए जगह हो। उन्होंने इसका नाम रखा शेडो (Shedo)। समय के साथ, छत पर शुरू हुआ यह छोटा-सा प्रयोग एक छोटी लेकिन मज़बूत संस्था में बदल गया, जो रचनात्मकता, समुदाय और देखभाल की जड़ों में गहराई से बसी हुई थी।
बाद में शैडो ने वी द पीपल अभियान के साथ मिलकर “हर दिल में संविधान” नाम का कैंपेन शुरू किया। इस पहल का नेतृत्व कविता ने किया। इस सहयोग के बहुत अच्छे नतीजे निकले - संविधान से जुड़े गीत बने, बातचीतें शुरू हुईं, यहाँ तक कि “हर दिल में संविधान” नाम का एक गीत भी तैयार हुआ। धीरे-धीरे न्याय, समानता और गरिमा जैसे विचार लोक गीतों और भजनों में गूंजने लगे। कविता के लिए अब संगीत और संवाद एक-दूसरे से अलग नहीं रहे, ये दोनों ही उसकी सीखने-सिखाने की सोच के दो मज़बूत सहारे बन गए।
संविधान के साथ कविता का रिश्ता केवल उनके पेशेवर काम तक सीमित नहीं था। भेदभाव और बहिष्करण का सामना खुद करने के बाद, उन्होंने संविधान में ही अपनी ताकत और दिशा खोजी। उन्होंने इसे गहराई से पढ़ा और अपने दैनिक व्यवहार का हिस्सा बना लिया। उनकी पुस्तक ‘महामहिला’ उन पंद्रह महिलाओं को समर्पित है जिन्होंने संविधान के निर्माण में योगदान दिया - वे चेहरे जो मुख्यधारा के इतिहास में अक्सर गायब हैं।“संविधान को जाने, माने और अपने व्यवहार में लाए,” वह कहती हैं - संविधान को जानो, उसका सम्मान करो, और उसे जीवन में उतारो।
साल 2023 में कविता की इस यात्रा को व्यापक पहचान मिली, जब उन्हें नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया द्वारा अंकुरण कार्यक्रम के लिए चुना गया, एक ऐसा मंच जो बीस महिलाओं को एक साथ लाया, जो संविधानिक मूल्यों पर काम कर रही थीं। शेडो का प्रतिनिधित्व करते हुए, कविता ने साझा किया कि कैसे संगीत एक लोकतांत्रिक उपकरण बन सकता है - संगीत और संवाद के बीच, शिक्षा और संविधान के बीच एक पुल की तरह।
आज शेडो लगातार अपने काम का दायरा बढ़ा रहा है। उसकी पहलें: बच्चों के लिए तालीम, युवाओं के लिए कम्युनिटी यूथ फोरम, और महिलाओं के लिए आर्ट 19 (जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार सुनिश्चित करता है) - उसी दृष्टि को आगे बढ़ा रही हैं। चुनौतियाँ अब भी हैं। उन समुदायों में संविधान पर बात करना, जहाँ यह दूर या अमूर्त लगता है, आसान नहीं है। लेकिन कविता डटी रहती हैं, वह उसके शब्दों को गीतों, संवादों और स्थानीय मुहावरों में बदल देती हैं। बच्चों के लिए संविधान गीत बन जाता है; महिलाओं के लिए वह भक्ति बन जाता है; और सबके लिए वह संवाद।
सुरों और पंक्तियों के बीच, संगीत और संवाद के बीच, कविता अब भी इस विचार को जीवित रखे हुए हैं कि सीखना और लोकतंत्र, दोनों की शुरुआत एक गीत और संवाद से हो सकती है।10 वर्षों में अपनी यात्रा में उन्होंने संविधान, लोक कला, महिला मुद्दो, नेतृत्व विकास आदि पर समझ बनाई । अपने जीवन की अनेक नकारात्मक यादों को भूलकर इस प्रक्रिया में खुद को वैचारिक रूप से भी समृद्ध कर रही हैं ।
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